Nirvana Pithadhishwara
कालिकाराधको नित्यं ज्ञानदीक्षाप्रदायकः।
गुरुदेव!नमस्तुभ्यं निर्वाणपीठनायक ॥१
नित्य प्रति काली मां की आराधना करने वाले, ज्ञान व दीक्षा प्रदान करने वाले, निर्वाण पीठ के नायक, गुरुदेव! आपको प्रणाम है।
रहःपूजनसन्तुष्टो महादेवीप्रपूजकः ।
गुरुदेव! नमस्तुभ्यं निर्वाणपीठनायक ॥२
एकान्त में पूजन करके संतुष्ट होने वाले, महादेवी की प्रकृष्ट पूजा करने वाले, निर्वाण पीठ के नायक गुरुदेव को प्रणाम है।
गीतारहस्यवक्ता यो महानिर्वाणदायकः।
गुरुदेव! नमस्तुभ्यं निर्वाणपीठनायक ॥३
गीता का रहस्य बताने वाले, महानिर्वाण देने वाले, निर्वाण पीठ के नायक गुरुदेव को प्रणाम है।
वेदाद्वैतमताचार्यस्सर्वलोकैकदेशिकः।
गुरुदेव नमस्तुभ्यं निर्वाणपीठनायक ॥४
वेद एवं अद्वैत मत के आचार्य, सारे संसार के प्रमुख देशिक (राह दिखाने वाले),निर्वाण पीठ के नायक, गुरुदेव को प्रणाम है।
ऊर्ध्वरेता महाज्ञानी शिष्यानुग्रहकारकः ।
गुरुदेव! नमस्तुभ्यं निर्वाणपीठनायक ॥५
ऊर्ध्वरेता (जिन्होंने रेतस् तत्व का ऊर्ध्वगमन किया है), महाज्ञानी, शिष्यों पर अनुग्रह (कृपा) करने वाले, निर्वाण पीठ के नायक गुरुदेव को प्रणाम है।
जगद्वन्द्यो मुनिश्रेष्ठस्तत्त्वज्ञानप्रदायकः।
गुरुदेव! नमस्तुभ्यं निर्वाणपीठनायक ॥ ६
जगत् में वन्दनीय, श्रेष्ठ मुनि, तत्वज्ञान प्रदान करने वाले, निर्वाण पीठ के नायक गुरुदेव को प्रणाम है।
करुणामुदितासिन्धुर्भक्तितत्त्वप्रबोधकः।
गुरुदेव! नमस्तुभ्यं निर्वाणपीठनायक ॥७
करुणा और मुदिता (प्रसन्नता) के सागर, भक्ति तत्व के प्रबोध वाले, निर्वाण पीठ के नायक गुरुदेव को प्रणाम है।
आचार्योऽधिगतस्तत्त्वं मुक्तिज्ञानप्रदायकः।
विश्वदेव! नमस्तुभ्यं निर्वाणपीठनायक ॥८
तत्त्व को जानकर जो आचार्य, मुक्ति ज्ञान का प्रसार करते हैं, ऐसे विश्वदेव स्वरूप, निर्वाण पीठ के नायक गुरुदेव को प्रणाम है।
॥ अनन्तविरचिता गुरुमहिमा ॥
।। यह अनन्तबोध चैतन्य द्वारा विरचित गुरुमहिमा है।।
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योगारूढं परं शान्तं सौम्यरूपं गुणाकरम् ।
प्रणमाम्यतुलानन्दं चैतन्याहितचेतसम् ॥ 1
योगपथ पर आरूढ़, परम् शान्त, सौम्य स्वरूप वाले, गुणों के निधान, अपने चित्त को उस चैतन्य स्वरूप परमात्मा में रखने वाले, श्री अतुलानन्द जी महाराज को मैं प्रणाम करता हूं।
सर्वशास्त्रार्थनिष्णातं विप्रकुलसमुद्भवम् ।
प्रणमाम्यतुलानन्दं तपोरूपं परं गुरुम् ॥2
सभी शास्त्रों के अर्थ करने में निष्णात , ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाले , तपस्वी स्वरूप, सच्चे अर्थों में गुरु, स्वामी अतुलानन्द जी महाराज को मैं प्रणाम करता हूं।
गीतागोविन्दगङ्गानां गवां सम्पूजने रतम्।
प्रणमाम्यतुलानन्दं लोकवन्द्यं महागुरुम् ॥3
गीता, भगवान् कृष्ण, गंगा और गायों की पूजा करने में लगे रहने वाले , इस संसार के सभी मनुष्यों द्वारा वन्दनीय, महान् गुरु स्वरूप, स्वामी अतुल आनंद जी महाराज को मैं प्रणाम करता हूं।
अज्ञानध्वान्तविध्वंसप्रचण्डमतिभास्करम् ।
प्रणमाम्यतुलानन्दं ज्ञानरूपं परं गुरुम् ॥ 4
अज्ञान रूपी अंधेरे का नाश करने में जो प्रचंड बुद्धि को धारण करने वाले सूर्य के समान हैं , ऐसे ज्ञान रूप परम गुरु श्री अतुल आनंद स्वामी जी महाराज को मैं प्रणाम करता हूं।
हर्षामर्षविनिर्मुक्तं धृतकाषायवाससम् ।
प्रणमाम्यतुलानन्दं प्रातःपूज्यं तपोधनम् ॥ 5
प्रसन्नता और क्रोध इन दोनों से मुक्त , भगवा वस्त्र धारण करने वाले , सुबह-सुबह स्मरणीय , तपस्या रूपी धन वाले, स्वामी अतुलानन्द जी महाराज को मैं प्रणाम करता हूं।
श्रुतिसिद्धान्तवेत्तारं निजानन्दात्मकं शुभम्।
प्रणमाम्यतुलानन्दं शिवरूपं परं गुरुम् ॥ 6
वेद-शास्त्रों के सारे सिद्धान्तों के जानकार , शुभतासम्पन्न, आत्मा रूपी आनंद में रमण करने वाले , परम शिव स्वरूप , स्वामी अतुलानंद जी महाराज को मैं प्रणाम करता हूं।
निर्द्वन्दं वै सदानन्दं मुक्तप्रपञ्चपञ्जरम्।
प्रणमाम्यतुलानन्दं विष्णुरुपं महागुरुम् ॥ 7
जो निर्द्वन्द्व हैं, और सदा आनंदित रहते हैं,(या सत्स्वरूप है आनन्द जिनका) , सांसारिक प्रपंच रूपी पिंजरे से मुक्त हैं, ऐसे साक्षात् विष्णु स्वरूप, स्वामी अतुलानन्द जी महाराज को मैं प्रणाम करता हूं।
आत्मानात्मविवेत्तारं ज्ञानविज्ञानसंयुतम्।
प्रणमाम्यतुलानन्दं ब्रह्मरुपं परं गुरुम् ॥ 8
आत्म और अनात्म को विशिष्ट रूप से जानने वाले, ज्ञान और विज्ञान संयुक्त , परम् ब्रह्म स्वरूप अपने गुरु , स्वामी अतुलानन्द जी महाराज को मैं प्रणाम करता हूं।
अष्टश्लोकी स्तुतिश्चैषा पुण्यानन्दविवर्धिनी ।
रचिता वै ह्यनन्तेन गुरुदेवप्रसादतः ॥
यह आठ श्लोकों की गुरुदेव की स्तुति , पुण्य और आनंद को बढ़ाने वाली है , यह स्वामी अनन्तबोध चैतन्य जी ने अपने गुरुदेव की कृपा से ही प्रणीत की है।
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